देश में चालो जी ढोला मन भटके।
Category: rajasthani geet
सुणज्यो सुणज्यो ओ सासूजी, दिन दिन ऊंचो आवे है।
सामली हवेली माथे,कागला घणा
धरती धोरा री धरती धोरा री
देवर सु बोली भाभी म्हारे आधे अंग रा साथी,
में तो पाणीडे ने चाली मेरा श्याम, मरद चाले अड़-अडके
जेठ म्हारो भोलो ढालो जी जिठानी म्हारी तेरह ताली जी,
झिर मीर झिर मीर रे रामू प्यारा,
मेह पड़े जी कोई, चणना भिजे द्वार
म्हारी चंद्र गौरजा, रतनारो खंभो दिख दूर स्यूं
झुक जाई रे हरिया पोदिना
You must be logged in to post a comment.