धीमि चलो ये पनिहारी लहंगो गर्द भरे
Category: Holi geet
पड़ोसन अभी कुंवारी है।
सुन जा म्हारा मोट्ट्यार, पाच्छे मुड़कर देख गोरडी कर राख्यों सिंगार
पिलो ओढ़ पोम्चो ओढ्यो,कर सिंगार मंडाई जी या मेहंदी।
फाग़न रो महीनो आयो भाभी आज
महीनो फागण को पिया जी मने फोन दिला दे, रे महीनो फागण को।
चांदनी बरस रही सज धज के,
बाड़ तळे कर बाहि रे तम्बाकू
देवरियो म्हारो रीझ रयो पर नारियां
मीठो बोले रे पपैयो रुत आई फागण री
You must be logged in to post a comment.