चूरू नगरीया देखो छाई है खुशिया भारी,
Category: विविध भजन
हो के बुझेगा मन की बाबा, मेरा रूस गया भगवान,
सत्कर्म करने को दो हाथ दी, बड़ी है कृपा मेरे प्रभुनाथ की,
जय सियाराम सियाराम बोल मना
क्यों फिरता डामा डोल मना ।
इन्द्र की इन्द्राणी भी चाली तो ब्रह्मा की ब्रह्माणी हो राम
तेरी बन जायेगी राम गुण गाये से ।
चली जा रही है ये अनमोल स्वासें,
मत उलझन में पड़ इनसान
मंदिर सुना बिन जोती,
माला र सुनी बिन मोती
वीणा वादिनी दुख हारिणि, भव सिंधु से तू उबार दे,
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