तेरे हाथ की हम कठपुतली,
है कुछ भी नहीं औकात,
Category: विविध भजन
चढ़ चालो गुरांजी के देश
बठ ही तेरो साहेबो बसे
चंचल मन निशदिन भटकत है
कह संत संग्राम
हाथ म हिरा आया
जाण कै जमारै नै, बिगाड़े मत ना,
सब यही पढ़ो रह जाएगो हरि राम नाम संग जायगो
करो भजन मत डरो किसी से, ईश्वर के घर होगा मान
क्यूँ गुमान करे काया का मन मेरे
एक दिन छोड़ कर ये जहाँ जाना है
कैसे जीतें हैं भला लोग हरी नाम बिना
किन विद झाल्यो रे बैराग,
बेरागण रानी
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