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विविध भजन

Kah sant sangram hath me Hira aaya,कह संत संग्राम हाथ म हिरा आया

कह संत संग्राम
हाथ म हिरा आया

कह संत संग्राम
हाथ म हिरा आया
बावत बावत बा दिया
तो हाथ बच्या दो एक,



मिल्यो हिरां को पारखी,
तो रोयो माथो टेक ।
रोयो माथो टेक के ,
इस्या में घणा बगाया
कह संत संग्राम ,
हाथ म हिरा आया ।।


जेसे मंदिर दीपक बिन दीपक बिन्या मंदिर सुना
ना वस्तु का बेरा,साधो भाई
गुरु बिन घोर अँधेरा।


जब तक कन्या रहे कँवारी ना प्रियतम का बेरा ।
ब्याही गई जद पति के संग,
में,, खेल्ह खेल घणेरा ।



पत्थर में एक अग्नी बसत है ,ना पत्थर न बेरा ।
गुरु घम चोट लगे सतगुरु की ,उपड़त आग घनेरी,,



मिरगे के नाभ बसे किस्तुरी ना मर्गला न बेरा ।
ज्यूँ ज्यूँ सुगन्ध आवे कमल में, सूंघे घास घनेरा



नाथ गुलाब मिल्या गुरु पुरा जाग्या भाग भलेरा ,
भानीनाथ शरण सतगुरु की गुरु चरणा चित्त मेरा ।

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