तर्ज, महावीर तुम्हारे द्वारे पर
जो संग करें महा नीच का बिन मृत्यु के मारा जाता है।बिन मृत्यु के मारा जाता है।बिन मृत्यु के मारा जाता है।बिन मृत्यु के मारा जाता है।जो संग करें महा नीच का बिन मृत्यु के मारा जाता है।
एक समय एक हंस मित्रों संग किंहा काग का। पत्नी सुख भोग्या नहीं पति के सुहाग का। हंस का सुना दूं हाल लिखा हुआ भाग का। हंस बोला काग मिंदर चाल मेरे देश में। कभी नहीं दुख होगा अंत है हमेंस में। नीचता का त्याग करो तजो बिल्कुल शेष मे।
चाहे नीम से जो गुड नीम से पर चाखण से कड़वाता है।जो संग करें महा नीच का बिन मृत्यु के मारा जाता है।जो संग करें महा नीच का बिन मृत्यु के मारा जाता है।
जो संग करें महा नीच का बिन मृत्यु के मारा जाता है।बिन मृत्यु के मारा जाता है।बिन मृत्यु के मारा जाता है।बिन मृत्यु के मारा जाता है।जो संग करें महा नीच का बिन मृत्यु के मारा जाता है।