तेरे गले को हार जंजीरों रे, सतगुरु सुलझावेगा | तेरे काया नगर में हीरो रे, हैरया से पावेग।
हार धनगुरु सुलझावेगा,
कारीगर का पिंजरा रे तने घडल्यायो करतार।
शायर करसी सोधना रे, मूरख करे रे मरोड़ । रोष मन मायले में ल्यावेगा।तेरे गले को हार जंजीरों रे, सतगुरु सुलझावेगा | तेरे काया नगर में हीरो रे, हैरया से पावेग।हार धनगुरु सुलझावेगा,
मन लोभी मन लालची रे भाई, मन चंचल मन चोर । मन के मत में न चालिए रे, पलक पलक चित और । जीव के जाळ घलावगा ।तेरे गले को हार जंजीरों रे, सतगुरु सुलझावेगा | तेरे काया नगर में हीरो रे, हैरया से पावेग।हार धनगुरु सुलझावेगा,
ऐसा नान्हा चालिए रे भाई, जैसी नान्ही दूब ।
और घास जळ ज्यायसी रे, दूब रहेगी खूब। फेर सावन कद आवेगा।तेरे गले को हार जंजीरों रे, सतगुरु सुलझावेगा । तेरे काया नगर में हीरो रे, हैरया से पावेग।हार धनगुरु सुलझावेगा,
साईं के दरबार में जी भाई, लम्बी खड़ी खजूर ।
चढ़े तो मेवा चाख ले रे,पड़े तो चकनाचूर । फेर उठण कद पावैगा।तेरे गले को हार जंजीरों रे, सतगुरु सुलझावेगा । तेरे काया नगर में हीरो रे, हैरया से पावेग।हार धनगुरु सुलझावेगा,