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विविध भजन

Tere gale ka haar janjiro re satguru suljhawega,तेरे गले को हार जंजीरों रे सतगुरु सुलझावेगा

तेरे गले को हार जंजीरों रे, सतगुरु सुलझावेगा

तेरे गले को हार जंजीरों रे, सतगुरु सुलझावेगा | तेरे काया नगर में हीरो रे, हैरया से पावेग।
हार धनगुरु सुलझावेगा,





कारीगर का पिंजरा रे तने घडल्यायो करतार।
शायर करसी सोधना रे, मूरख करे रे मरोड़ । रोष मन मायले में ल्यावेगा।तेरे गले को हार जंजीरों रे, सतगुरु सुलझावेगा | तेरे काया नगर में हीरो रे, हैरया से पावेग।हार धनगुरु सुलझावेगा,





मन लोभी मन लालची रे भाई, मन चंचल मन चोर । मन के मत में न चालिए रे, पलक पलक चित और । जीव के जाळ घलावगा ।तेरे गले को हार जंजीरों रे, सतगुरु सुलझावेगा | तेरे काया नगर में हीरो रे, हैरया से पावेग।हार धनगुरु सुलझावेगा,



ऐसा नान्हा चालिए रे भाई, जैसी नान्ही दूब ।
और घास जळ ज्यायसी रे, दूब रहेगी खूब। फेर सावन कद आवेगा।तेरे गले को हार जंजीरों रे, सतगुरु सुलझावेगा । तेरे काया नगर में हीरो रे, हैरया से पावेग।हार धनगुरु सुलझावेगा,



साईं के दरबार में जी भाई, लम्बी खड़ी खजूर ।
चढ़े तो मेवा चाख ले रे,पड़े तो चकनाचूर । फेर उठण कद पावैगा।तेरे गले को हार जंजीरों रे, सतगुरु सुलझावेगा । तेरे काया नगर में हीरो रे, हैरया से पावेग।हार धनगुरु सुलझावेगा,

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