तने कियां समझाऊ रे मनवा तने कियाँ समझाऊ । हाथी होतो जंजीर जड़ाऊ रे,चारु पांव बंधाउ।बण महावत तेर पर बैठु, अंकुश देय चलाऊ।तने कियां समझाऊ रे मनवा तने कियाँ समझाऊ ।
घोड़ो होतो लगाम लगाऊ, ऊपर जिण जड़ाऊ। होय असवार तेरे पर बैठू, चाबुक फेर चलाऊ ।तने कियां समझाऊ रे मनवा तने कियाँ समझाऊ ।
सोनो हो तो सुनार बुलाऊ, तन कुंडलिया ठुकवाऊ। ज्ञान नली की फूंक लगाऊ, पानी ज्यूँ पिघलाऊ ।तने कियां समझाऊ रे मनवा तने कियाँ समझाऊ ।
लोहो हो तो लुहार बुलाऊ, तन ऐरण पर चढवाऊ। हथौड़ा की चोट लगा कर, तार जन्ती खिंचवाउ ।तने कियां समझाऊ रे मनवा तने कियाँ समझाऊ ।
ज्ञानी होतो ज्ञान बताऊ, तन सत की राह बताऊ, कह “नारायण” सुन मेरा मनवा, अमरापुर पहुंचाऊ।तने कियां समझाऊ रे मनवा तने कियाँ समझाऊ ।