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विविध भजन

Tane kaiya samjhau re manwa,तने कियां समझाऊ रे मनवा तने कियाँ समझाऊ

तने कियां समझाऊ रे मनवा तने कियाँ समझाऊ

तने कियां समझाऊ रे मनवा तने कियाँ समझाऊ । हाथी होतो जंजीर जड़ाऊ रे,चारु पांव बंधाउ।बण महावत तेर पर बैठु, अंकुश देय चलाऊ।तने कियां समझाऊ रे मनवा तने कियाँ समझाऊ ।





घोड़ो होतो लगाम लगाऊ, ऊपर जिण जड़ाऊ। होय असवार तेरे पर बैठू, चाबुक फेर चलाऊ ।तने कियां समझाऊ रे मनवा तने कियाँ समझाऊ ।


सोनो हो तो सुनार बुलाऊ, तन कुंडलिया ठुकवाऊ। ज्ञान नली की फूंक लगाऊ, पानी ज्यूँ पिघलाऊ ।तने कियां समझाऊ रे मनवा तने कियाँ समझाऊ ।



लोहो हो तो लुहार बुलाऊ, तन ऐरण पर चढवाऊ। हथौड़ा की चोट लगा कर, तार जन्ती खिंचवाउ ।तने कियां समझाऊ रे मनवा तने कियाँ समझाऊ ।



ज्ञानी होतो ज्ञान बताऊ, तन सत की राह बताऊ, कह “नारायण” सुन मेरा मनवा, अमरापुर पहुंचा।तने कियां समझाऊ रे मनवा तने कियाँ समझाऊ ।

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