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विविध भजन

Tere hath ki hum kathputli hai kuch bhi nahi aukat,तेरे हाथ की हम कठपुतली है कुछ भी नहीं औकात,

तेरे हाथ की हम कठपुतली,
है कुछ भी नहीं औकात,

जनम मरण और वरण प्रभु,
है सब तेरे हाथ,
तेरे हाथ की हम कठपुतली,
है कुछ भी नहीं औकात,
जनम मरण और वरण प्रभु,
है सब तेरे हाथ,



कब किस घड़ी में किस जगह पे,
तू दुनियाँ पे आएगा,
कौन पिता और माता होंगे,
किसका वंश बढ़ाएगा,
हर साँस का कच्चा चिटठा,
रखते हैं दीना नाथ,
जनम मरण और वरण प्रभु,
है सब तेरे हाथ,



परिवर्तन है नियम यहाँ का,
जो आया सो जाएगा,
लेख लिखा किस्मत में जो भी,
कोई बदल ना पाएगा,
शादी का योग अटल है,
निश्चित फेरों की रात,
जनम मरण और वरण प्रभु,
है सब तेरे हाथ,



समय का चक्र नहीं रुकता है,
हर दम चलता रहता है,
अच्छे बुरे करो का फल भी,
पल पल मिलता रहता है,
श्रष्टि के रचियता ने दी है,
ये हमें सौगात,
जनम मरण और वरण प्रभु,
है सब तेरे हाथ,



अपनी सारी शक्ति दे दी,
भगवान में इंसान को,
कहे मोहित इंसान चनौती,
देने लगा भगवान को,
ये तीन चीज रखी हैं,
भगवान में अपने पास,
जनम मरण और वरण प्रभु,
है सब तेरे हाथ,

जनम मरण और वरण प्रभु,
है सब तेरे हाथ,
तेरे हाथ की हम कठपुतली,
है कुछ भी नहीं औकात,
जनम मरण और वरण प्रभु,
है सब तेरे हाथ,

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