चादर झीणी राम झीणी,
या तो सदा राम रस पिणी॥टेर॥या तो हरि के रंग रंग पिणी ,पिणी,
अष्ट कमल पर चरखो चाले, पाँच तंत की पूणी।
नौ दस मास बणताँ लाग्या, सतगुरु ने बण दीनी॥चादर झीणी राम झीणी,
या तो सदा राम रस पिणी॥टेर॥या तो हरि के रंग रंग पिणी ,पिणी,
जद मेरी चादर बण कर आई, रंग रेजा ने दीनी।
ऐसा रंग रंगा रंगरेजा,
लाली लालन कीनी॥चादर झीणी राम झीणी,
या तो सदा राम रस पिणी॥टेर॥या तो हरि के रंग रंग पिणी ,पिणी,
चादर ओढ़ कर शंको मत माने,दो दिन तुमको दीन्ही ,हरि का दास जुगत से ओडी, मुर्ख नर मैली किन्ही।चादर झीणी राम झीणी,
या तो सदा राम रस पिणी॥टेर॥या तो हरि के रंग रंग पिणी ,पिणी,
ध्रुव प्रहलाद सुदामा ने ओढ़ी, सुखदेव ने निर्मल कीनी।
दास कबीर ने ऐसी ओढ़ी, ज्यू की ज्यू धर दीनी॥चादर झीणी राम झीणी,
या तो सदा राम रस पिणी॥टेर॥या तो हरि के रंग रंग पिणी ,पिणी,