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विविध भजन

Kya sowe sukh nind musafir pardesi re,क्या सोव सुख नींद मुसाफिर परदेसी रे ,

क्या सोव सुख नींद , मुसाफिर परदेसी रे ,

क्या सोव सुख नींद , मुसाफिर परदेसी रे ,क्या सोव सुख नींद , मुसाफिर परदेसी रे ,


राम नाम का सुमरण करले हरी का ध्यान ह्रदय बीच धरले ।साधो भाई र छोड़ कपट का जंजाल कटेगो तेरो चोरासी रे ।क्या सोव सुख नींद , मुसाफिर परदेसी रे ,



आगे आगे आव ठगा की नगरी ,खोस लेवगा हीरा वाली गांठडी ।साधो भाई रे वह चोरन का है गाँव ,न्याय तेरो कुण करसी रे ।क्या सोव सुख नींद , मुसाफिर परदेसी रे ,



गगन मण्डल वीच उरदमुख कुआ रे ,सब साधन मिल प्रसन होया रे।साधो भाई रे लंग ज्या तरबिन्या के घाट,उतर मल मल नहा ले रे ।क्या सोव सुख नींद , मुसाफिर परदेसी रे ,



नाथ गुलाब गुरु पूरा पाया रे ,जाल जुलम सब दूर हटाया रे।साधु भाई रे गुण गावे भानीनाथ ,गुरूजी ल्याया रंग बूंटी रे ।क्या सोव सुख नींद , मुसाफिर परदेसी रे ,

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