ग्वालिड़ा तू कोनी जाने प्रीत परायी ।
प्रीत परायी रे ,प्रीत परायी।ग्वालिड़ा तू कोनी जाने प्रीत परायी ।
प्रीत परायी रे ,प्रीत परायी।
बेठ कदम पर साँवरो ,
बंसी बजावै जी,एजी हा,
रे मेवाड़ी राणा रे, सब गाय न घिर आयी।ग्वालिड़ा तू कोनी जाने प्रीत परायी ।
प्रीत परायी रे ,प्रीत परायी,
चोर चोर दही माखन खायो जी ।
रे मेवाड़ी राणा रे, ब्रज की नार डराई । ग्वालिड़ा तू कोनी जाने प्रीत परायी ।
प्रीत परायी रे ,प्रीत परायी,
जनमत ही कुल त्यारण कहियो जी ,
रे मेवाड़ी राणा रे,मात-पिता , गुरु भाई ।ग्वालिड़ा तू कोनी जाने प्रीत परायी ।
प्रीत परायी रे ,प्रीत परायी,
राजा माधोसिंह जी रा कुवर प्रताप सिंघजी।
रे मेवाड़ी राणा रे,सब मिल सोरठ गाई।ग्वालिड़ा तू कोनी जाने प्रीत परायी ।
प्रीत परायी रे ,प्रीत परायी,