कलालण एसो प्यालो पाय
जाने पियाँ से अमर हो जाय।कलालण एसो प्यालो पाय,जाने पियाँ से अमर हो जाय।
गगन मंडल भट्टियां तपे जी ताप रहा दिन रात
सुरत कलालण प्यालो फेर बोतलडी भर ल्याय।कलालण एसो प्यालो पाय
जाने पियाँ से अमर हो जाय।
गगन मण्डल भट्टियां तपे झरणा रो बंद लगाय
मन मतवालो हो रयो जी सुरतां बणी है दलाल।कलालण एसो प्यालो पाय
जाने पियाँ से अमर हो जाय।
यो प्यालो निज नाम को जी झाड़ राँग को नाय
सुरां माणस पीव पीव जाव नुगरा मूढ़ गमाय।कलालण एसो प्यालो पाय
जाने पियाँ से अमर हो जाय।
प्यालो पीवो जुग जुग जीवो जीव अमर हो जाय
कहत कबीर सुणो भाई साधों फेर जन्म आसी नाय।कलालण एसो प्यालो पाय
जाने पियाँ से अमर हो जाय।