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विविध भजन

Tu karle guru ne vakil mukadma bhari,तूं करले गुरु नै वकील मुकदमा भारी सै

तूं करले गुरु नै वकील, मुकदमा भारी सै।


तूं करले गुरु नै वकील, मुकदमा भारी सै।तूं करले गुरु नै वकील, मुकदमा भारी सै।


उस दिन की तुम करो कमाई,
जब पकड़ेंगे चार सिपाही।
तेरी कोई न देगा गवाही।
तनै देखी ना तहसील ।।तूं करले गुरु नै वकील, मुकदमा भारी सै।तूं करले गुरु नै वकील, मुकदमा भारी सै।



यमपुर का टिकट कटेगा रे,
सारा कुनबा दूर हटेगा रे।
तेरे पास न कोई जुटेगा रे,
तेरी कौन करे तामील।।तूं करले गुरु नै वकील, मुकदमा भारी सै।तूं करले गुरु नै वकील, मुकदमा भारी सै।



मन नाम सुमर नादानी रे,
तेरी दो पल की जिंदगानी रे।
तूं क्यूँ करता मनमानी रे,
तेरी चालै नहीं दलील।।तूं करले गुरु नै वकील, मुकदमा भारी सै।तूं करले गुरु नै वकील, मुकदमा भारी सै।



झूठे की बात न चाले रे,
साँचा की पांत न हालै रे।
वहां एक ही एक निहारे रे,
वहां चिपटें लाखों भील।।तूं करले गुरु नै वकील, मुकदमा भारी सै।तूं करले गुरु नै वकील, मुकदमा भारी सै।



नर जो तूं पाप करेगा रे,
तूं अपने आप भरेगा रे।
बिन भजन के डूब मरेगा रे,
चाहे करले जतन हज़ार।।तूं करले गुरु नै वकील, मुकदमा भारी सै।तूं करले गुरु नै वकील, मुकदमा भारी सै।

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