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श्याम भजन लिरिक्स

Jo shish ka hai dani usko me kya chadhau,जो शीश का है दानी, उसको मै क्या चढ़ाऊं,shyam bhajan

जो शीश का है दानी, उसको मै क्या चढ़ाऊं

(तर्ज : मेरा आपकी कृपा से )

जो शीश का है दानी, उसको मै क्या चढ़ाऊं शर्मिंदा हूं मैं बाबा, तुझको ही आजमाऊं। जो शीश का है दानी…...

दर पे तेरे मै आकर, तुझसे ही सौदा करता। मेरा काम गर करोगे, सवामनी लगाऊं कहता।जिसका दिया मै खाता, उसको ही क्या खिलाऊं

जो शीश का है दानी,उसको मै क्या चढ़ाऊं। शर्मिंदा हूं मैं बाबा, तुझको ही आजमाऊं। जो शीश का है दानी…...

भूला मै कैसे बाबा, क्या है तेरी कहानी। कहलाया कैसे जग में, सबसे बड़ा तू दानी, औकात है ना मेरी, प्रेमी तेरा कुहाऊं।

जो शीश का है दानी उसको मै क्या चढ़ाऊं। शर्मिंदा हूं मैं बाबा, तुझको ही आजमाऊं। जो शीश का है दानी..….

तूने ना इसलिए ही, कुर्बानी ये करी थी। की कलयुग में मुझसे भक्तों, की जेबें भरी रहेगी। नजरों से अपनी संजय, खुद को ही मैं गिराऊं,

जो शीश का है दानी उसको मै क्या चढ़ाऊं शर्मिंदा हूं मैं बाबा, तुझको ही आजमाऊं। जो शीश का है दानी……

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