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राम भजन लिरिक्स

Na jane kon se gun par dayanidhi rijh jate hai,ना जाने कौन से गुण पर,दयानिधि रीझ जाते हैं,ram bhajan

ना जाने कौन से गुण पर,
दयानिधि रीझ जाते हैं ।

ना जाने कौन से गुण पर,
दयानिधि रीझ जाते हैं ।
कि ना जाने कौन से गुण पर दयानिधि रीझ जाते हैं ।

नहीं स्वीकार करते हैं,
निमंत्रण नृप सुयोधन का ।
विदुर के घर पहुँचकर भोग,
छिलकों का लगाते हैं ॥ ना जाने कौन से गुण पर दयानिधि रीझ जाते हैं ।

न आये मधुपुरी से गोपियों की,
दु:ख व्यथा सुनकर ।
द्रुपदजा की दशा पर,
द्वारका से दौड़े आते हैं ॥
ना जाने कौन से गुण पर दयानिधि रीझ जाते हैं।

न रोये वन गमन में,
श्री पिता की वेदनाओं पर ।
उठा कर गीध को निज गोद में ,
आँसु बहाते हैं ॥
ना जाने कौन से गुण पर दयानिधि रीझ जाते हैं।

कठिनता से चरण धोकर,
मिले कुछ ‘बिन्दु’ विधि हर को ।
वो चरणोदक स्वयं केवट के,
घर जाकर लुटाते हैं ॥
ना जाने कौन से गुण पर दयानिधि रीझ जाते हैं।

ना जाने कौन से गुण पर,
दयानिधि रीझ जाते हैं ।
यही सद् ग्रंथ कहते हैं,
यही हरि भक्त गाते हैं ॥

ना जाने कौन से गुण पर,
दयानिधि रीझ जाते हैं ।
कि ना जाने कौन से गुण पर दयानिधि रीझ जाते हैं ।

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