मैं मुरली पकड़ कर रोई कान्हा तेरी याद में।अब मैं रात नींद ना सोयी
रे कान्हा तेरी याद में।
कान्हा रे बागन बीच अकेली,
कान्हा रे झुक रही रैन अँधेरी,
अब केला पकड़ के रोयी
कान्हा तेरी याद में
अब मैं रात नींद ना सोयी
रे कान्हा तेरी याद में।
मैं मुरली पकड़ कर रोई कान्हा तेरी याद में।अब मैं रात नींद ना सोयी
रे कान्हा तेरी याद में।
कान्हा रे तालन बीच अकेली,
कान्हा रे झुक आयी रैन अँधेरी,,
अब साड़ी पकड़ के रोयी
रे कान्हा तेरी याद में
अब मैं रात नींद ना सोयी
रे कान्हा तेरी याद में।
मैं मुरली पकड़ कर रोई कान्हा तेरी याद में।अब मैं रात नींद ना सोयी
रे कान्हा तेरी याद में।
कान्हा रे कुआँटन बीच अकेली,
कान्हा रे झुक आयी रैन अँधेरी,
अब गगरी पकड़ के रोयी
रे कान्हा तेरी याद में
अब मैं रात नींद ना सोयी
रे कान्हा तेरी याद में।
मैं मुरली पकड़ कर रोई कान्हा तेरी याद में।अब मैं रात नींद ना सोयी
रे कान्हा तेरी याद में।
कान्हा रे महलन बीच अकेली,
कान्हा रे झुक आयी रैन अँधेरी,
अब खिड़की पकड के रोयी
रे कान्हा तेरी याद में
अब मैं रात नींद ना सोयी
रे कान्हा तेरी याद में।
मैं मुरली पकड़ कर रोई कान्हा तेरी याद में।अब मैं रात नींद ना सोयी
रे कान्हा तेरी याद में।
कान्हा रे मंदिर बीच अकेली,
कान्हा रे झुक आयी रैन अँधेरी,
अब चरणों पकड़ के रोयी
रे कान्हा तेरी याद में।मैं रात नींद ना सोयी
रे कान्हा तेरी याद में।
मैं मुरली पकड़ कर रोई कान्हा तेरी याद में।अब मैं रात नींद ना सोयी
रे कान्हा तेरी याद में।