राम का नाम कलयुग में अनमोल है। मुरख नर भूल जाए तो में क्या करूं।
नर जवानी के मद में नहीं सोचता।चार दिन में सभी रंग वो रंग डालता।जानकर तूं गड्ढे में क्यों गिरता।फिर मुसीबत उठाए तो में क्या करूं।🌺राम का नाम कलयुग में अनमोल है। मुरख नर भूल जाए तो में क्या करूं।
कुछ समय तुम लगाकर करे यदि भजन। छूट जाए सहज तेरा आवागमन। लख चौरासी में तूं क्यों भटकता फिरे।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺फिर यूं चक्कर लगाए तो में क्या करूं।
राम का नाम कलयुग में अनमोल है। मुरख नर भूल जाए तो में क्या करूं।
लोग कहते है भगवान आते नही।और आकर के दर्शन दिखाते नहीं।राम के तूं भजन बिन अकेला चला।फिर समझ में न आए तो में क्या करूं।
राम का नाम कलयुग में अनमोल है। मुरख नर भूल जाए तो में क्या करूं।