बंसी वाले से लागे दोई नैना। उन्ने मुश्किल करो मेरो जीना।बंसी वाले से लागे दोई नैना।
मैं तो बस्ती रंग महल में, बजी श्याम की वीणा। लागी नींद उचट गई सजनी, अब ना पड़े मोहे चैना।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺अब ना पड़े मोहे चैना।बंसी वाले से लागे दोई नैना।
जो में एसो जानती होती,प्रीत कबहूँ ना करती।प्रीत करे तो जो दुःख मिले,प्रीत कबहूँ ना करती।दिल रोव और रोव नैना।बंसी वाले से लागे दोई नैना।
मथुरा ढूंढा वृंदावन ढूंढा, श्याम मिला कहीं ना। चंद्र सखी भज बालकृष्ण छवि,श्याम बिना रहूं ना। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺छलिया है श्याम सलोना। बंसी वाले से लागे दोई नैना।