बना है फूलों का मंदिर, कहीं वह बिखर ना जाए। मंदिर में बैठी है जगदंबे, कहीं वह रूठ ना जाए।
मैया के माथे की बिंदिया, जो बालों से उलझती है। उलझने वाले बालों का, नजारा हम भी देखेंगे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹बना है फूलों का मंदिर, कहीं वह बिखर ना जाए। मंदिर में बैठी है जगदंबे, कहीं वह रूठ ना जाए।
मैया के कानों के कुंडल, जो झुमके से उलझते हैं। उलझने वाले झुमके का,नजारा हम भी देखेंगे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹बना है फूलों का मंदिर, कहीं वह बिखर ना जाए। मंदिर में बैठी है जगदंबे, कहीं वह रूठ ना जाए।
मैया के गले की माला जो हारों से उलझती है। उलझने वाले हारों का,नजारा हम भी देखेंगे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹बना है फूलों का मंदिर, कहीं वह बिखर ना जाए। मंदिर में बैठी है जगदंबे, कहीं वह रूठ ना जाए।
मैया के हाथों की चूड़ी जो कंगन से उलझती है। उलझने वाले कंगनों का,नजारा हम भी देखेंगे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹बना है फूलों का मंदिर, कहीं वह बिखर ना जाए। मंदिर में बैठी है जगदंबे, कहीं वह रूठ ना जाए।
मैया के अंगों का लहंगा,जो चुनरी से उलझता है।उलझने वाली चुनरी का,नजारा हम भी देखेंगे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹बना है फूलों का मंदिर, कहीं वह बिखर ना जाए। मंदिर में बैठी है जगदंबे, कहीं वह रूठ ना जाए।
मैया के पैरों की पायल, जो बिछुवा से उलझती है।उलझने वाले बिछुवे का,नजारा हम भी देखेंगे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹बना है फूलों का मंदिर, कहीं वह बिखर ना जाए। मंदिर में बैठी है जगदंबे, कहीं वह रूठ ना जाए।