रथड़ो धीरे धीरे हांक सांवरिया,वृंदावन ले चाल।
रथडो म्हारो रंग रंगीलो,पहिया चकरी दार। बैठण आली राधिका जी,हांके नंद जी रो लाल।रथड़ो धीरे धीरे हांक सांवरिया,वृंदावन ले चाल।
वृंदावन की कुंज गलिन में, गोप्यां रसियो श्याम।नाचन वाली राधिका ने,देखे कृष्ण मुरार।🌺🌺रथड़ो धीरे धीरे हांक सांवरिया,वृंदावन ले चाल।
वृंदावन के ऊंचे पहाड़ पर, बैठ्यों कालो नाग।राधिका के गले लिपट गयो,देखे कृष्ण मुरार।रथड़ो धीरे धीरे हांक सांवरिया,वृंदावन ले चाल।