कब आवोगे गुरुजी म्हारे देश,मीरा देखण बाट खड़ी। ओ दासी देखण बाट खड़ी।
आवण आवण कह गए सदगुरु,
कर गए कौल अनेक।गिणते गिणते घिस गई,
म्हारी उंगली की रेख।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺कब आवोगे गुरुजी म्हारे देश,मीरा देखण बाट खड़ी। ओ दासी देखण बाट खड़ी।
सतगुरू जी को ढूँढण चाली,करके भगवा भेष।
ढूंढत ढूंढत उमर बीत गई,हो गई केस सफेद।🌺कब आवोगे गुरुजी म्हारे देश,मीरा देखण बाट खड़ी। ओ दासी देखण बाट खड़ी।
कागज नाही स्याही नाही,नहीं लेख उस देश।
पंछी को प्रवेश नहीं जी,कैसे भेजूं संदेश।🌺🌺कब आवोगे गुरुजी म्हारे देश,मीरा देखण बाट खड़ी। ओ दासी देखण बाट खड़ी।
काशी ढूंढी मथुरा ढूंढा,ढूंढा देश विदेश।मीरा को गुरु रविदास मिले,सतनाम गुरु भेष।🌺🌺🌺कब आवोगे गुरुजी म्हारे देश,मीरा देखण बाट खड़ी। ओ दासी देखण बाट खड़ी।