तर्ज, हाय शरमाऊं,किस किसको बताऊं
मेरी डलिया में राम मेरे हाथों में श्याम,में बेचूं सुबह शाम,मूर्ति एक हनुमान की। हो मूर्ति एक हनुमान की।
में कहता चिल्ला के,सब देखो बाहर आके।बड़े ही प्यारे लगते हैं,ये मनमोहन मथुरा के। काटे सबकी बाधा,श्याम के संग में राधा। संग में लक्ष्मण और जानकी। मूर्ति एक हनुमान की। हो मूर्ति एक हनुमान की।
मेरी डलिया में राम मेरे हाथों में श्याम,में बेचूं सुबह शाम,मूर्ति एक हनुमान की। हो मूर्ति एक हनुमान की।
मधुसूदन मोहन मदन,मुरली माधव माखन चोर। नटनागर नंद ददन,नटवर नंदकिशोर।
में बेचूं राम और सीता,जिसने लंका को जीता।कितने पावन है रघुनंदन, हर रोज करो तुम वंदन।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 दुःख हरते हैं ये,मंगल करते हैं ये।सच बातें कहूं में काम की।मूर्ति एक हनुमान की।🌺हो मूर्ति एक हनुमान की।