तर्ज, अंजन की सीटी में
आओ दादीजी सजावां थाने सारा मिलके। बनडी लागोगा थे तो सजधज के।
सबसूं पहल्यां दादी थारा, पावन चरण धुलास्यां।चांदी की चौकी पे दादी,महे तो थाने बिठास्यां।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺लहंगो जयपुर से,२, ल्याया हां थारे तांई चलके।२।बनडी लागोगा थे तो सजधज के।
आओ दादीजी सजावां थाने सारा मिलके। बनडी लागोगा थे तो सजधज के।
लाल सुरंगी चुनडी दादी,थाने महे ऊढास्यां।मनिहारी को चुडो दादी, हाथां में पहरास्यां।पायल पोली थाने पहरावां महे,चांदी धर के।बनडी लागोगा थे तो सजधज के।
आओ दादीजी सजावां थाने सारा मिलके। बनडी लागोगा थे तो सजधज के।
काजल टिकी रोली मोली, थारे महे लगावां।घणी राचनि मेहंदी थारे, हाथां महे मंडावां। गजरो आयो थारो,२, सोणा सा फुलां से गूंथ के।बनडी लागोगा थे तो सजधज के।
आओ दादीजी सजावां थाने सारा मिलके। बनडी लागोगा थे तो सजधज के।
बैठो दादी अब सिंहासन,कीर्तन की सब त्यारि। लागो सोनी सोनी थे तो,नजर उतारां थारी।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 दिज्यों आशीर्वाद भगतां ने थे,झोली भर के।बनडी लागोगा थे तो सजधज के।
आओ दादीजी सजावां थाने सारा मिलके। बनडी लागोगा थे तो सजधज के।