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निर्गुण भजन nirgun Bhajan

Mhara hariya van ra suwatiya, म्हारा हरिया वन रा सुवटीया,nirgun bhajan

म्हारा हरिया वन रा सुवटीया,तने राम मिले तो कहीजे रे।

म्हारा हरिया वन रा सुवटीया,तने राम मिले तो कहीजे रे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹तने राम मिले तो कहीजे रे, घनश्याम मिले तो कहींजे रे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹म्हारा हरिया वन रा सुवटीया,तने राम मिले तो कहीजे रे।

पांच तत्व का बना पिंजरा, जां में बैठ्यो रहिजे रे। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹यो पिंजर ओ अब भयो पुराणों, नई नई खबरां दीजे रे।

म्हारा हरिया वन रा सुवटीया,तने राम मिले तो कहीजे रे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹तने राम मिले तो कहीजे रे, घनश्याम मिले तो कहींजे रे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹म्हारा हरिया वन रा सुवटीया,तने राम मिले तो कहीजे रे।

ई पिंजरे का दश दरवाजा, आऊंतो जाऊंतो रहिजे रे। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹राम नाम की भरले नौका, नीत भजना में रहीजे रे।

म्हारा हरिया वन रा सुवटीया,तने राम मिले तो कहीजे रे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹तने राम मिले तो कहीजे रे, घनश्याम मिले तो कहींजे रे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹म्हारा हरिया वन रा सुवटीया,तने राम मिले तो कहीजे रे।

काम क्रोध मद लोभ त्याग कर, गुरु चरणों में रहीजे रे। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹मीरा के प्रभु गिरिधर नागर, चित चरणों में रहीजे रे।

म्हारा हरिया वन रा सुवटीया,तने राम मिले तो कहीजे रे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹तने राम मिले तो कहीजे रे, घनश्याम मिले तो कहींजे रे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹म्हारा हरिया वन रा सुवटीया,तने राम मिले तो कहीजे रे।

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