तर्ज, होलिया में उड़े री गुलाल
झूलो घाल्यों रे कदम की डार,दादी म्हारी झूल रही।झूल रही दादी झूल रही।🌹🌹झूलो घाल्यों रे कदम की डार,दादी म्हारी झूल रही।
रंग बिरंगो झूलो सजायो,झूले में रेशम की डोर लगायो।२।कोई देखन योग्य बहार,दादी म्हारी झूल रही।
झूलो घाल्यों रे कदम की डार,दादी म्हारी झूल रही।
बाग सज्यो थारो अलबेलो।२।दादी आई सुनकर हेलो।२।नाचे मोर पपिहा आज,दादी म्हारी झूल रही।
झूलो घाल्यों रे कदम की डार,दादी म्हारी झूल रही।
दादी झूले भगत झुलावे।२।दादी जी ने खूब रिझावे।कोई भजन सुनावे दोय चार,दादी म्हारी झूल रही।
झूलो घाल्यों रे कदम की डार,दादी म्हारी झूल रही।
छप्पन भोग थारे भोग लगायो।२।दादी जी ने खूब सजायो।कोई मन में हरस अपार,दादी म्हारी झूल रही।
झूलो घाल्यों रे कदम की डार,दादी म्हारी झूल रही।झूल रही दादी झूल रही।🌹🌹झूलो घाल्यों रे कदम की डार,दादी म्हारी झूल