तर्ज,मनिहारी का भेष बनाया
डोर कदम की डार बंधवाये, झूला राधा को श्याम झूलाये।२।
डोर कदम की डार बंधवाये, झूला राधा को श्याम झूलाये।२।
नाचे मन मयूरा, गाए पपीहरा।२।घटा कारी,२घीर घीर आए।झूला राधा को श्याम झूलाये।
डोर कदम की डार बंधवाये, झूला राधा को श्याम झूलाये।२।
आया बैरी सावन, हुबा बाबरा मन।२।नन्हीं बूंदे,२,घन बरसाये।झूला राधा को श्याम झूलाये।
डोर कदम की डार बंधवाये, झूला राधा को श्याम झूलाये।२।
झूमे धरती गगन,होके आज मगन।२।धुन मुरली,२, की जादू जगाये।झूला राधा को श्याम झूलाये।
डोर कदम की डार बंधवाये, झूला राधा को श्याम झूलाये।२।
व्रज हरसाएं रे,सखियां मुस्काए रे।२।निधि वन में,२,आनंद छाये।झूला राधा को श्याम झूलाये।
डोर कदम की डार बंधवाये, झूला राधा को श्याम झूलाये।२।