तर्ज,मिलती है जिंदगी में मुहब्बत
मुझको अगर तूं फूल, बनाता ओ सांवरे।मंदिर में तेरा रोज,सजाता ओ सांवरे।
तेरा जिक्र इत्र का,तेरी बातें इत्र की।🌹🌹मंदिर में तेरे होती,बरसातें इत्र की।🌹🌹छींटा कभी तो मुझपे,आ जाता ओ सांवरे।मंदिर में तेरा रोज,सजाता ओ सांवरे।
मुझको अगर तूं फूल, बनाता ओ सांवरे।मंदिर में तेरा रोज,सजाता ओ सांवरे।
मेरे श्याम काम आता में,तेरे श्रृंगार में।🌹तेरे भक्त पिरोते मुझे,तेरे ही हार में।🌹🌹मुझको गले तूं रोज, लगाता हे सांवरे।🌹मंदिर में तेरा रोज,सजाता ओ सांवरे।
मुझको अगर तूं फूल, बनाता ओ सांवरे।मंदिर में तेरा रोज,सजाता ओ सांवरे।
बनके गुलाब कांटों में,रहना कबूल है।🌹किस्मत में मेरे गर तेरी,चरणों की धूल है।चरणों से तेरे दर ना, उठाता ओ सांवरे।मंदिर में तेरा रोज,सजाता ओ सांवरे।
मुझको अगर तूं फूल, बनाता ओ सांवरे।मंदिर में तेरा रोज,सजाता ओ सांवरे।