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shravan kumar bhajan

Beta sarvan panido pilay, बेटा शरवण पानीडो पिलाय, श्रवण कुमार भजन

बेटा शरवण पानीडो पिलाय,वन में बेटा प्यास लगी।

बेटा शरवण पानीडो पिलाय,वन में बेटा प्यास लगी।

आला गिला बांस कटाया,कांवड़ लीना बनाय। २।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹मात पिता ने मांय बैठाया,२।तीरथ करण ले जाय।वन में बेटा प्यास लगी।

ना कोई है कुवा बावड़ी,ना कोई समंद तालाब।२।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹तब शरवण ये सोचन लागयो,२।कहां जल पाऊं मेरी माय।वन में बेटा प्यास लगी।

ऊंचा नीचा कदम के ऊपर,बगुला उड़ उड़ जाय।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹तब शरवण या मन में धारी,अब जल पाऊं मेरी माय।वन में बेटा प्यास लगी।

ले झारी अब शरवण चाल्यों,गयो सरवर के पास।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹जाय नीर झकोर्यों तब ही,२।दशरथ मारियो शक्ति बाण।वन में बेटा प्यास लगी।

दशरथ वहां से चाल्यो और,आयो शरवण के पास।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 हे विधाता क्या कर डाला,२। मारया,है भांजा रे बाण।वन में बेटा प्यास लगी।

मरतो शरवण बोल्यों रे, सुन मामा म्हारी बात।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹अंधा है म्हारा मात पिताजी,२। बाने तो पानीडो पिलाए।वन में बेटा प्यास लगी।

ले झारी अब दशरथ चाल्यो,गयो रे कावड़ रे पास।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹ठंडो जल भर ल्यायो झारी,अब जल पियो म्हारी माय।वन में बेटा प्यास लगी।

नही शरवण की बोली लागे,नही शरवण की चाल।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹माता पिता तो स्वर्ग सिधार्या,दशरथ ने दिनहों बे तो श्राप।वन में बेटा प्यास लगी।

बेटा शरवण पानीडो पिलाय,वन में बेटा प्यास लगी।

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