Categories
निर्गुण भजन nirgun Bhajan

Nirgun Bhajan,jindagi me hajaro ka mela, जिंदगी में हजारों का मेला जुड़ा

जिंदगी में हजारों का मेला जुड़ा।

तर्ज,हाल क्या है दिलों का ना पूछो सनम

जिंदगी में हजारों का मेला जुड़ा,हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा।🌹🌹🌹🌹काल से बच ना पायेगा छोटा बड़ा।हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा।

ठाठ सारे पड़े के पड़े रह गये।सारे धनवा गड़े के गड़े रह गये।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 अंत में लखपति को, ना धेला मिला।हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा।🌹🌹🌹जिंदगी में हजारों का मेला जुड़ा,हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा।

बेबसों को सताने से क्या फायदा।झूठा अपजस कमाने से क्या फायदा।🌹🌹🌹दिल किसिका दुखाने से क्या फायदा,नीम के साथ जैसे,करेला जुड़ा।🌹🌹🌹🌹🌹हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा।🌹🌹जिंदगी में हजारों का मेला जुड़ा,हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा।

राज राजे रहे ना वह रानी रही। ना बुढापा रहा ना जवानी रही।🌹🌹🌹🌹🌹🌹 यह तो कहने को केवल कहानी रही। चार दिन का जगत में झमेला रहा।🌹🌹🌹🌹हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा।🌹🌹जिंदगी में हजारों का मेला जुड़ा,हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा।

जिंदगी में हजारों का मेला जुड़ा,हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा।

Leave a comment