तर्ज,म्हारो बेड़ो पार लगाए दिज्यो सालासर हनुमान
कान्हा तोहे दही पे नाच नचाय दूंगी,में बरसाने की छोरी। मैं बरसाने की छोरी, कान्हा वृषभान किशोरी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹कान्हा तोहे दही पे नाच नचाय दूंगी,में बरसाने की छोरी।
राधा तेरो पीछो नाय छोडूंगा,सुन वृषभान किशोरी।२।
जो कान्हा मेरी बात ना माने,२। मैं माखन को तरसाए दूंगी मैं बरसाने की छोरी।🌹🌹🌹मैं बरसाने की छोरी, कान्हा वृषभान किशोरी।कान्हा तोहे दही पे नाच नचाय दूंगी,में बरसाने की छोरी।
वृंदावन में रास रचाऊं।ता ता थैया तोहे नचाऊं। मैं मुरली मधुर बाजाउंगो,सुन वृषभान किशोरी।तेरो पीछो नाय छोडूंगा,सुन वृषभान किशोरी।
जो कान्हा मेरी रोके डगरिया,२। मैं यशोदा से पिटवाय दूंगी मैं वृषभान किशोरी।मैं बरसाने की छोरी, कान्हा वृषभान किशोरी।🌹🌹🌹🌹कान्हा तोहे दही पे नाच नचाय दूंगी,में बरसाने की छोरी।
सुन बरसाने की छोरी। यो गुलाम तेरो बनवारी। तोहे कुंज गलीन में घुमाई दूंगो, सुन वृषभान किशोरी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹तेरो पीछो नाय छोडूंगा,सुन वृषभान किशोरी।
जो कान्हा मोहे मुरली सुनावे,२। तो मैं ठुमका नाच दिखाई दूंगी, मैं बरसाने की छोरी।मैं बरसाने की छोरी, कान्हा वृषभान किशोरी।कान्हा तोहे दही पे नाच नचाय दूंगी,में बरसाने की छोरी।