तर्ज,आदमी मुसाफिर है
सांवरे की महफिल को, सांवरा सजाता है। किस्मत वालों के घर में श्याम आता है।
गहरा हो नाता बाबा का जिनसे, मिलने को बाबा आता है उनसे। 🦚🦚🦚🦚🦚🦚उनका वह साथी बन जाता है।🦚🦚🦚🦚सांवरे की महफिल को सांवरा सजाता है।किस्मत वालों के घर में श्याम आता है।
कृपा बरसती है जिन पे इनकी। तकदीर लिखता है हाथों से उनकी। 🦚🦚🦚🦚🦚गम का अंधेरा छंट जाता है।🦚🦚🦚🦚🦚सांवरे की महफिल को सांवरा सजाता है।किस्मत वालों के घर में श्याम आता है।
भजन सुनाते जो इनके प्यारे। उस परिवार के है वारे न्यारे।🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚 मंदिर सा घर वो बन जाता है।🦚🦚🦚🦚सांवरे की महफिल को सांवरा सजाता है।किस्मत वालों के घर में श्याम आता है।