खींचे खींचे रे दुशासन मेरो चीर, अरज सुनो गिरधारी।
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कृष्णा काले, मुरलिया वाले, ओ जग से निराले, तू करुणानिधान है
राधा रानी जमुना के पार मिलना
सांवरिया म्हाने क्यों नहीं बनायो रे,थारे वृंदावन को मोर,रंगीलो गिरधारी।
जहाँ ले चलोगे वहीं मैं चलूँगा,