धजबन्द लाज रखो म्हारी, ओ बापजी कलम रखो म्हारी,
राम नाम तू जप ले रे बंदे, बनेंगे तेरे काम
हारे को मिलती जीत जहां दरवार में जिनके जाता हुं
जमुना में लहर उठे भारी, मेरा हाथ पकड़ लो बनवारी।
दरबार में आकर बाबा को, तू अपना हाल सुनाए जा,
चाँद जैसा मुखड़ा माँ का, बैठी है दरबार में
हे पवनपुत्र बलकारी, थे राखो लाज हमारी
जाओ मेरे हनुमान बूटी ले आओ ।
सतगुरू दी दिवानी मैनू थोड़ कोई ना,
चली आवे जीभ निकाल हाथ में खड़क लिए खड़क लिए,
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