सामली हवेली माथे,कागला घणा
Category: Holi geet
धरती धोरा री धरती धोरा री
नौवे महीने चल गई पीड़ा,नौवे महीने चल गई पीड़ा,पेट में टीसा चाले रे,म्हारो गोलो उतरग्यो
देवर सु बोली भाभी म्हारे आधे अंग रा साथी,
में तो पाणीडे ने चाली मेरा श्याम, मरद चाले अड़-अडके
मिसरी को बाग लगादे रसिया
नीम की निमोळी म्हाने खारी लागे
जेठ म्हारो भोलो ढालो जी जिठानी म्हारी तेरह ताली जी,
झिर मीर झिर मीर रे रामू प्यारा,
मेह पड़े जी कोई, चणना भिजे द्वार
म्हारी चंद्र गौरजा, रतनारो खंभो दिख दूर स्यूं
मेले में जाऊं तो म्हाने,मिले पुराना रसिया सा।
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