तू ही श्रद्धा तू ही भक्ति, तू आराधना मेरी
Category: विविध भजन
चूरू नगरीया में देखो, छाई है खुशियां भारी
इस धरती पर चाँद, उतरने वाला है,
दूसरो के जय से पहले खुद को जय करे ।
धन्य तेरी करतार कला का , पार नहीं कोई पाता है
गुरुजी मन मिले का मेला रे उड़ जायेगा हंस अकेला।
एकला मत छोड़ जो , बणजारा रे ।
तज दिना प्राण,
काया कैसे रोई,
सारे जगत का हिसाब है,
यह मेरी अरदास रख चरणों के पास।
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