तुलसी जी की गुरु लुगाई जी शीतल भयो शरीर
Category: विविध भजन
हे हरा रुख कटवाईयो ना।पैर गऊ के लाइयो ना
बाबूजी मेरा टिकिट क्यों लेता,
कैसे करोगे बेडा पार हरी
राम भजन में तो भूल गई।
अगर भगवान को पाना है तो मन साफ कर पहले।
बटाऊ बीरा हो गयो मोड़ो रे। दिन रहयो थोडो रे
सत री संगत गंगा गोमती ,
सुरसत कासी परीयागा ।
अरे भजन में जाबा कोणी दे
काई कारण आयो जिवडा,
कई करवा लागो रे,
चूल्हा की आग हो तो पानी से बुझा दूं,म्हारा कालजा री आग बुझे कोनी।
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