तीर्थवासी आया रेल में,
आवागमन में रेता,
होय निरंजन फिरा जगत में,
कोड़ी पास नही रखता,
बाबूजी मेरा टिकिट क्यों लेता,
मेरा टिकिट क्यो लेता।
राता पिला सिग्नल बनाया,
सोहंग तार खिंचता,
अड़ा ओडद का लीना आसरा,
ऐसी लेंन जमता,
बाबूजी मेरा टिकिट क्यों लेता,
मेरा टिकिट क्यो लेता ।
निर्भय होकर आया जगत में,
दाम पास नही रखता,
माया की नही बांधा गाँठड़ी,
मैं तो वह वनियारा में रेता,
बाबूजी मेरा टिकिट क्यों लेता,
मेरा टिकिट क्यो लेता ।
अमरापुर से चिट्ठी उतरी,
हेला पाड कर देता,
गुजर गरीबी में कनोरं बोले,
अमर पास कर लेता,
बाबूजी मेरा टिकिट क्यों लेता,
मेरा टिकिट क्यो लेता ।
तीर्थवासी आया रेल में,
आवागमन में रेता,
होय निरंजन फिरा जगत में,
कोड़ी पास नही रखता,
बाबूजी मेरा टिकिट क्यों लेता,
मेरा टिकिट क्यो लेता।