ऐसे गरजे हैं हनुमान की, थरथर कांप रही लंका।
Author: Pushpanjali
दरवाजे पर बाबा जय श्री श्याम लिख दिया।
सब कहते हैं मुझको मैं श्याम का पगला हूं।
दया करो है श्री हनुमतजी।
मैया जी घर आ जाना मैया जी घर आ जाना,
मेरा सांवरा मेरे पास।
चलता मेरा परिवार , तेरी कृपा से सांवरिया
जो तु गया हार है, चाहता बहार है
रंग चढ़ा है श्याम धनी का, छाई मस्त बहार है
लगे खाटू का अजब नजारा, की फागण आया चलो सारे
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