काशी नगरी में उड़ रही धूल ,धूल मोहे प्यारी लगे।
Author: Pushpanjali
जो मैं होता सांवरे मोर तेरे खाटू का।
म्हारी लागोड़ी लगन मत तोड़ रे, सांवरा गिरधारी।
काका ताऊ मेरे भाई भतीजे,चाले करण सगाई। खटक मेरे डमरू आले की।खटक मेरे डमरू आले की। एक वन चाले दो वन चाले, भोला दिया दिखाई।एक वन चाले दो वन चाले, भोला दिया दिखाई।खटक मेरे डमरू आले की।खटक मेरे डमरू आले की। भोले ते भाई सुथरा घणा से, गोरा की करो सगाई।भोले ते भाई सुथरा घणा […]
तेरे मंदिर में जाना मेरा काम है ।और मेरी बिगड़ी बनाना तेरा काम है।
राम भज ले रे हरी रो सुमिरन करले।
हनुमत ने बजाई खड़ताल बोलो जय सिया राम
तारे यमुना के तट पर छाए। श्याम बंसी बजाने आए।
मैं मुरली बन जाऊं, होठों से मुझे लगा ले।
कोई कितना भी कर ले जतन वक्त से पहले कुछ ना मिलेगा।
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