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Holi geet rajasthani geet

Ruk jayi ye rel luharu ki,रूक ज्यायी ए रेल लुहारू की मेरो कद परण्यो घर आव,

रूक ज्यायी ए रेल लुहारू की, मेरो कद परण्यो घर आव

रूक ज्यायी ए डट ज्यायी ए, रूक ज्यायी ए रेल लुहारू की, मेरो कद परण्यो घर आव।
डट ज्यायी ए रूक



पाणिड़ा न जाती मैं तो सुगन मनाऊँ, कद साजन घर आव। घड़ल पर-२ घड़लो मेल रही जी, मेरो अब साजन घर आव ।डट ज्यायी ए रूक





रसोयां म जाती मैं तो सुगन मनाऊँ, कद साजन घर आव। फलक पर-२ फलको बेल रही जी, मेरो अब साजन घर आव। डट ज्यायी ए रूक,





महलां म जाती मैं तो सुगन मनाऊँ, कद साजन घर आव।  तकिये पर -२ तकियो मेल रही जी, मेरो अब साजन घर आव। डट ज्यायी ए रूक



बागां म जाती मैं तो सुगन मनाऊँ, कद साजन घर आव। माला पर-२ माला गूंथ रही जी, मेरा अब साजन घर आव। डट ज्यायी ए रूक,

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