तर्ज, दुनियां बनाने वाले
डमरू बजाने वाले जय हो जय भोले भंडारी, लीला अनोखी तुम्हारी ।लीला अनोखी तुम्हारी ।
पवन गंगा को तूने जटा में समाया। मस्तक पर चंद्रमा तो तूने सजाया। तन पर भभूति सोहे सर्पों की माला। बस्ती को छोड़ डेरा कैलाश पर डाला। हाथी और घोड़े छोडे नंदी की करके सवारी।लीला अनोखी तुम्हारी ।लीला अनोखी तुम्हारी ।डमरू बजाने वाले जय हो जय भोले भंडारी, लीला अनोखी तुम्हारी ।लीला अनोखी तुम्हारी ।
तेरी भक्ति में भोले शक्ति बढी है। शक्ति की देवी गोरा संग में खड़ी है। पास में बैठे गणपति बुद्धि प्रदाता। कर ले जो दर्शन इनके भव से तर जाता। कर में त्रिशूल सोहे डमरू की धुन प्यारी प्यारी।लीला अनोखी तुम्हारी ।लीला अनोखी तुम्हारी ।डमरू बजाने वाले जय हो जय भोले भंडारी, लीला अनोखी तुम्हारी ।लीला अनोखी तुम्हारी ।
यह तो है बात सारी दुनिया ने मानी। तेरे सामान जग में नहीं कोई दानी। खोला भंडार तूने सब कुछ लुटाया। इसीलिए औघड़ दानी तुमको बताया। खुश होकर जलधारा में भक्तों की बिगड़ी बनाई।लीला अनोखी तुम्हारी ।लीला अनोखी तुम्हारी ।डमरू बजाने वाले जय हो जय भोले भंडारी, लीला अनोखी तुम्हारी ।लीला अनोखी तुम्हारी ।
गृहस्ती के सन्यासी सबका तू प्यारा है। उसकी लाज रखी जिस ने पुकारा है। कोई कमी ना रखता भक्ति लुटाना। गाती रहू मै भोले तेरा तराना। भक्तों ने भोले तेरे चरणों में अर्ज गुजारी।लीला अनोखी तुम्हारी ।लीला अनोखी तुम्हारी ।डमरू बजाने वाले जय हो जय भोले भंडारी, लीला अनोखी तुम्हारी ।लीला अनोखी तुम्हारी ।
डमरू बजाने वाले जय हो जय भोले भंडारी, लीला अनोखी तुम्हारी ।लीला अनोखी तुम्हारी ।