तुझे पिता कहूं या माता,तुझे मित्र कहूं या धाता, सौ सौ बार नमन करता हूं चरणों में झुका के माथा।तुझे पिता कहूं या माता,तुझे मित्र कहूं या धाता, सौ सौ बार नमन करता हूं चरणों में झुका के माथा।
हे परमेश्वर तेरी जग में, है महिमा बहुत निराली। तु चाहे तो बज जाये, हर एक हाथ से ताली। हे प्रभु तेरी कुदरत का, ये खेल समझ नही आता।सौ सौ बार नमन करता हूं चरणों में झुका के माथा।तुझे पिता कहूं या माता,तुझे मित्र कहूं या धाता, सौ सौ बार नमन करता हूं चरणों में झुका के माथा।
सती मैना ने तुझे पुकारा, तुने पति का कोढ़ मिटाया। मुनि मानतुंग ने ध्याया, सो तालों को तोड़ गिराया। कण कण में तू बसा है, पर कही नजर नहीं आता,सौ सौ बार नमन करता हूं चरणों में झुका के माथा।तुझे पिता कहूं या माता,तुझे मित्र कहूं या धाता, सौ सौ बार नमन करता हूं चरणों में झुका के माथा।
है धरा पाप से बोझल, तब हमने तुझे पुकारा। अब धीरज डोल रहा है, तू दे दे हमे सहारा। बिन तेरे इस दुनिया में,हमे कोई नज़र नही आता।सौ सौ बार नमन करता हूं चरणों में झुका के माथा।तुझे पिता कहूं या माता,तुझे मित्र कहूं या धाता, सौ सौ बार नमन करता हूं चरणों में झुका के माथा।
तुझे पिता कहूं या माता,तुझे मित्र कहूं या धाता, सौ सौ बार नमन करता हूं चरणों में झुका के माथा।तुझे पिता कहूं या माता,तुझे मित्र कहूं या धाता, सौ सौ बार नमन करता हूं चरणों में झुका के माथा।