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विविध भजन

Mat ban daas lugayi ko,माँ बापा की सेवा करले मत बण दास लुगाई को

माँ बापा की सेवा करले, मत बण दास लुगाई को।

लोक और परलोक सुधरण्या, करले काम भलाई को। माँ बापा की सेवा करले, मत बण दास लुगाई को।



ससुरा जी ने कहे बापू, सासु ने के माता। जन्म दियोड़ा माँ बापा ने, कदी नहीं दीदी साता । ओरा को वे ग्यो रे बेटा, वियो ने जामण जाई को । माँ बापा की सेवा करले, मत बण दास लुगाई को।

आला में सूती माता, सूखा में थेने सुलायो । सारा घर को काम बिगाडियो, नकदी नहीं रुलायो । लूण मरच सु रोटी खाता पायो दूध मलाई को । माँ बापा की सेवा करले, मत बण दास लुगाई को।



जद थू बेटा मोटो होयो, आस बंधी दुःख मत जासी । असी कसी ने जाणी रे बेटा, पल में न्यारो हो जासी । असी बात में पेली जाणता नहीं करता काम सगाई को। माँ बाप की सेवा करले, मत बण दास लुगाई को।



छुला आगे बैठो रेवे, नहीं बैठे यो मनका में। दादागिरी में रेवे रे भायो, नहीं रेवे यो लखणा में। धर्म दान में कई नहीं देवे, नहीं देवे धान उगाई को । माँ बाप की सेवा करले, मत बण दास लुगाई को।



खरी केवु तो खोटी लागे, सब्द को चाले जोर नहीं। इस दुनिया में माँ बापा से, बढ़कर कोई और नहीं । रामचंद्र ने थोड़ो समज ले, मत जावे दूध माई को । माँ बाप की सेवा करले, मत बण दास लुगाई को।

लोक और परलोक सुधरण्या, करले काम भलाई को। माँ बापा की सेवा करले, मत बण दास लुगाई को।

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