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Mhari Amar suhagan nanadi fera me baithi,म्हारी अमर सुहागण बनड़ी फेरां में बेठी,shadi geet

म्हारी अमर सुहागण बनड़ी फेरां में बेठी

तर्ज : दोय डूंगरां बिच बेल पसरी

म्हारी अमर सुहागण बनड़ी फेरां में बेठी। पेलो तो फेरो लिन्यो लाडली । पेलो फेरो तो लिन्यो बाई रा दादोजी हरक्या । हरकतां आंसु दलक नैन स्यूं ।

दादोजी हरकता बोल दादीजी मीठड़ा सा बोल, आसीसा देव बाई न मोकळी । जुग जीवो ए म्हारी सोन चीड़कली। जुग जुग जीवो बनड़ो सुवटो।

म्हारो सुवटो सैनाणी बनड़ो, कोयल सुरम्यानी । मीठी वाणी बोल, घर के आंगण ।म्हारी अमर सुहागण बनड़ी फेरां में बेठी।

दूजो तो फेरो लियो लाडली दूजो फेरो तो लिन्यो बाई रा बाबुल हरख्या ।हरकतां आसूं दलक नैन स्यूं ।बाबुल हरखंता डोल मायड़ मिठड़ी सी बोल।आसीसा देव बाई न मोकळी ।



थां न आंगण रमायो बाई दूध ना लाजे । सासू सूसरां री करज्यो चाकरी ।म्हारी अमर सुहागण बाई हिंगळूरी रेखा ।जुग जुग जीवो म्हारी लाडली ।



म्हारी अमर सुहागण बाई फेरां मं बेठी।
तीजो तो फेरो लिन्यो लाडली ।तीजो फेरो लिन्यो बाई रा बीरो जी हरक्या ।हरखंता आंसू ढलक नैन स्यूं । भावज होटां मं मुळक, नैना आंसुड़ा ढलक ।आशीशां देव बाइ न मोकळी ।



लाडेसर बीरो भावज शब्द सुणाव । भाग सराव भोली बेन रो ।म्हारी लाड लडावण बाई फेरां मं बेठी।



चोथो तो फेरो लियो लाडली ।चोथो फेरो लिन्यो बाई हुई रे पराई ।झुरझुर झांक घर रो आंगणो ।
म्हार बांगा चमेली चंपो झुर झुर झांक।फुल कुम्हलाव कंवळो केवड़ो ।



बाई रो आंचल उड़ाती हवा पूर्वा सी चाल ।
मामोजी बलैयां लेव मोकळीं।
तूं तो हुई रे पराई थांन गोद खिलाई।
मत बिसराई घर को आंगणो ।

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