तर्ज – आने से उसके आए बहार
रूपक झुणक कर उतरी है आज,छनन छनन कर बाजे है साज,आगणिय पधारी है म्हारी बहुराणी-२ दिल्ली में पधारी है म्हारी बहूराणी-२
सूर्य लालिमा बिंदिया, पायल कंगन और नथनीयां, देख के रूप सलोनो अटकी कुदरत की नजरीया।ठुमकाती मदमाती म्हारै घर आई है म्हारी बहूराणी। आंगणीय पधारी है म्हारी बहूराणी।रूपक झुणक कर उतरी
ढोल नगाड़े बाजै चारों और गुंजै शहनाई
बांध केशरीया पेचों झूमे नाचे है सगला भाई ,धीरे धीरे पग धरती, लक्ष्मी सा पगलीया करती,, म्हारै आंगण मं पधारी है म्हारी बहूराणी
दिल्ली में पधारी।रूणक झुणक कर उतरी है ।
रंग बिरंगे सजके, आई देवर नणंदो की टोली।
प्यार भरा उपहार मिला है बनके रहेगें हम जोली। इंठलाती मदमाती बनी शहजादी है। म्हारी बहूराणी।आंगणीय पधारी है म्हारी बहूराणी।रूणक झुणक कर उतरी है आज
रूपक झुणक कर उतरी है आज,छनन छनन कर बाजे है साज,आगणिय पधारी है म्हारी बहुराणी-२ दिल्ली में पधारी है म्हारी बहूराणी-२