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श्याम भजन लिरिक्स

Jis pe sawra hota meharwan hai,जिस पे सांवरा होता मेहरबान है,shyam bhajan

जिस पे सांवरा,होता मेहरबान है,

जिस पे सांवरा,होता मेहरबान है,
फिर बन जाती है,दुनिया में,उसकी पहचान है,
जिस पे सांवरा,होता मेहरबान है,फिर बन जाती है,दुनिया में,उसकी पहचान है।



नाम लेकर के,श्याम का जिसने,
जब कदम आगे,को बढ़ाया है,
मिली जब कृपा,सांवरे की उसे,
फिर तो परचम,ऐसा फहराया है,
फिर तो परचम,ऐसा फहराया है,
अब जो मिलता,देता वो सम्मान है,
जिस पे सांवरा,होता मेहरबान है,
फिर बन जाती है,दुनिया में,
उसकी पहचान है।



ना कमी रहने देता,फिर कोई,
बिन कहे ही सब कुछ,मिल जाता है,
ना कमी रहने देता,फिर कोई,
बिन कहे ही सब कुछ,मिल जाता है,जिन सुखों का,सपना तक देखा नहीं,ऐसी बारिश वो,
तो बरसाता है,ऐसी बारिश,
वो तो बरसाता है,फिर हो जाती,
उसकी अलग शान है,जिस पे सांवरा,
होता मेहरबान है,फिर बन जाती है,
दुनिया में,उसकी पहचान है।



धर के धीरज,बने जो दीवाना,
उसके हर दुख को ये,हर लेता है,
फर्श से फौरन,उठाकर उसको,
अर्श पर पल में,बिठा देता है,
अर्श पर पल में,बिठा देता है,
खाटू वाला,रखता सदा ध्यान है,
मेरा खाटू वाला,रखता सदा ध्यान है,
फिर बन जाती है,दुनिया में,उसकी पहचान है।

जिस पे सांवरा,होता मेहरबान है,
फिर बन जाती है,दुनिया में,उसकी पहचान है,
जिस पे सांवरा,होता मेहरबान है,फिर बन जाती है,दुनिया में,उसकी पहचान है।

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