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राजा हरिश्चंद्र भजन विविध भजन

Ekdin ganga re teere,हरिशचंद्र राजा अमर रवैगो थारो नाम रे

हरिशचंद्र राजा अमर रवैगो थारो नाम रे

दोहा -सूरज टळे चंदो टळे, और टळे जगत व्यवहार
पण व्रत हरिशचंद्र रो ना टळे, ना टळे रे सत्यविचार



गुंजे धरती रे चारो धाम रे, ए ए ए
गुंजे धरती रे चारो धाम रे,
हरिशचंद्र राजा अमर रवैगो थारो नाम रे
हरिशचंद्र राजा अमर, रवैगो थारो नाम रे
उगते प्रभाते ढळती शाम रे, ए ए ए
उगते प्रभाते ढळती शाम रे,
सतवादी राजा घर घर पुजीजे थारो नाम रे
सतवादी राजा घर घर पुजीजे थारो नाम रे।



तरवर दे ठंडी छैया सरवर दे मीठो पाणी
पर हीत पर मारत पंथी जीवण ने है जिंदगाणी
जुनी रो मरम पिछाण्यो बणगो गुण सागर ज्ञानी.
दुर्बल दुखिया रो दाता, मानी जो बनकर दानी
मनडे पर कसदी नी लगाम रे ए ए ए
मनडे पर कसदी नी लगाम रे,
जय जय जुग बाला अमर रवैगो थारो नाम रे,
जय जय जुग बाला अमर रवैगो थारो नाम रे,

गुंजे धरती रे चारो धाम रे, ए ए ए
गुंजे धरती रे चारो धाम रे,
हरिशचंद्र राजा अमर रवैगो थारो नाम रे
हरिशचंद्र राजा अमर, रवैगो थारो नाम रे

कुंप सी कवळी काया, सुंदर तारामती राणी
फुला पर चालण वाली, काटा मै बहे गुणबाणी
झुलसे रो हीतास जो बालो, तपते तावड़ीए माई
भुंखा तीरसाया भटके सत रे मारगीए माई
सत पर जीवतडा बडे चाम रे….ए ए ए
सत पर जीवतडा बडे चाम रे…
हरीशचन्द्र राजा छाला पड गया रे थारे पाव रे,
हरीशचन्द्र राजा छाला पड गया रे थारे पाव रे,

गुंजे धरती रे चारो धाम रे, ए ए ए
गुंजे धरती रे चारो धाम रे,
हरिशचंद्र राजा अमर रवैगो थारो नाम रे
हरिशचंद्र राजा अमर, रवैगो थारो नाम रे



सत रे पत बीक ग्यो सीमरत, सत पर बीक गी महाराणी,
अवध पुरी रो राजा, हरसी शुदर घर पाणी
मंगसो चांदडलों पडगो, धरती माँ भी लचकाणी
बहतो वायरियो रुकगो, गंगा को थम गो पाणी
कर दीनो भुपत सब लीलाम रे.. ए ए ए
कर दीनो भुपत सब लीलाम रे …
वचनारा बारु अमर रहेगो थारा नाम रे
वचनारा बारु अमर रहेगो थारा नाम रे।

गुंजे धरती रे चारो धाम रे, ए ए ए
गुंजे धरती रे चारो धाम रे,
हरिशचंद्र राजा अमर रवैगो थारो नाम रे
हरिशचंद्र राजा अमर, रवैगो थारो नाम रे



एक दीन गंगा रै तिरा, मिलग्या दो बिछड्‌या प्राणी
घड़ीयो ऊंचादे म्हाने, बोली तारामती राणी
सैंधी सी बोली सुणके, संभळयो सतवादी दानी,
पण अपनो धर्म निभावण, करगो वो आनाकानी
झुकगा वे नैना कर सीलाम रे,ए ए ए
झुकगा वे नैना कर सीलाम रे
जन्मारा भिडू रैगा हिवडे ने दोनो थाम रे.
जन्मारा भिडू रैगा हिवडे ने दोनो थाम रे।

गुंजे धरती रे चारो धाम रे, ए ए ए
गुंजे धरती रे चारो धाम रे,
हरिशचंद्र राजा अमर रवैगो थारो नाम रे
हरिशचंद्र राजा अमर, रवैगो थारो नाम रे

सोभे हो राज सिंहासन, झिलमिलता हिरा मोती
नगरी में प्राण सु प्यारो, सबरे नैणारी ज्योती
झुला रे समरा झुलतो, धूलता हा चवर पछाड़ी
मरघट पर लकड़ा फाडे, हरिशचंद रे हाथ कुलहाड़ी
तड़पे दिन रात न ले विसराम रे ए ए ए
तडपे दिन रात न ले विसराम रे.
मेहनतीया मारू अमर रवैगो थारो नाम‌ रे ,
मेहनतीया मारू अमर रवैगो थारो नाम‌ रे ।

गुंजे धरती रे चारो धाम रे, ए ए ए
गुंजे धरती रे चारो धाम रे,
हरिशचंद्र राजा अमर रवैगो थारो नाम रे
हरिशचंद्र राजा अमर, रवैगो थारो नाम रे।



मिनखा पण दो दिन मेळो, दो दिन है अंजळ दाणो
कुण जाणे कितरी सांसा, कद जाणे किण ने जाणो
बीते है वगत सुहाणी, छोड़ो की याद निशाणी
जय जय सतवादी राजा, जय जय हरिशचंद्र दानी।जुग जुग झुकेला कर प्रणाम रे.. ए ए ए
जुग जुग झुकेला कर प्रणाम रे
जियो जुग बाला अमर रवेगो थारो नाम रे
जिवो जुग बाला अमर रवेगो थारो नाम रे।



गुंजे धरती रे चारो धाम रे, ए ए ए
गुंजे धरती रे चारो धाम रे,
हरिशचंद्र राजा अमर रवैगो थारो नाम रे
हरिशचंद्र राजा अमर, रवैगो थारो नाम रे।

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