मन मिरगले ने किस बिध रोकूँ ।बिरत नाय बिडारया जोगी जंगम जती सेवड़ा, पंडित पढ़ पढ़ हारया रे ।
शील संतोष की बाड़ छ्वाले ध्यान गुरु रखवाला, प्रेम पारधी बाण संजोले ज्ञान भाल से मारया र।मन मिरगले ने किस बिध रोकूँ ।बिरत नाय बिडारया जोगी जंगम जती सेवड़ा, पंडित पढ़ पढ़ हारया रे ।
नाथ गुलाब मिल्या गुरु पूरा ऐसा मिरग बिडारया। भानीनाथ शरण सत गुरु की बेग ही बेग सम्भाल्या र।मन मिरगले ने किस बिध रोकूँ ।बिरत नाय बिडारया जोगी जंगम जती सेवड़ा, पंडित पढ़ पढ़ हारया रे ।