कई खेल्या कई खेल सी ,
कई खेल सिधारया रे ।
सखी इन आंगनिये में ए, बहन इन आंगनिये में ए,
आवो सात सहेलड्यो ,
म्हारा सीम दयो चोला रे ।
में अबला हरी नाम की मेरा, साहेब भोला ए ।सखी इन आंगनिये में ए, बहन इन आंगनिये में ए,
एक छिनोला दूजी कुबड़ी तीजी नाजुक छोटी ए
नैन हमारा यूँ झुरे जैसे गागर फूटी ए ।सखी इन आंगनिये में ए, बहन इन आंगनिये में ए,
जाय उतारया हरिये बड़ तले संगी कुरलाया ए
थे तो थारे घरां पधारो
म्हें होया पराया ए ।सखी इन आंगनिये में ए, बहन इन आंगनिये में ए,
काजी अहमद यु भणे रे सखी यहाँ नहीं रहना ए
आया बुलावा राम का
सखी लुळ लुळ लेना ए ।सखी इन आंगनिये में ए, बहन इन आंगनिये में ए,